सहारनपुर के गांव कलछी के रहने वाले किसान सतीश कुमार और उनकी पत्नी नीलम ने बेटी महिमा को हाकी की बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए अपना घर-बार छोड़ दिया। बेटी का हाकी प्रति जुनून देखते हुए वे दोनों उसे सोनीपत में कोच प्रीतम सिवाच के पास ले आए। कोच की सीख मानकर कड़ी मेहनत के दम पर पहले महिमा चौधरी ने जूनियर टीम में उम्दा प्रदर्शन किया। इसके बाद अप्रैल में महिमा ने सीनियर टीम में डेब्यू करते हुए नीदरलैंड के खिलाफ मैच खेला। इस मैच में टीम ने नीदरलैंड को कड़ी शिकस्त दी। अब वे स्विटजरलैंड में चार-पांच जून को होने वाली एफआइएच वूमेन फाइव ए साइड हाकी चैंपियनशिप में उपकप्तानी करेंगी।
सहारनपुर के गांव कलछी के छोटे से किसान सतीश कुमार की बेटी महिमा पहले जूडो खेलती थी। वर्ष 2010 में उनके स्कूल की हाकी टीम एक टूर्नामेंट खेलने जा रही थी। इसमें एक खिलाड़ी कम थी। महिमा इस टीम का हिस्सा बनकर टूर्नामेंट खेलने गई। वहां उसे मैच में तो नहीं खिलाया गया लेकिन उसने बाहर बैठकर महसूस किया कि यह तो बड़ा रोमांचक खेल है। उस दिन से उसने जूड़ो छोड़कर हाकी खेलना शुरू किया, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी वे बेटी की कोचिंग की महंगी फीस दे सके।
किसी ने उन्हें बताया कि सोनीपत में कोच प्रीतम सिवाच लड़कियों को हाकी सिखाती हैं और वे इसकी फीस भी नहीं लेतीं। वे तुरंत अपना घर और खेती छोड़कर बेटी को हाकी सिखाने के लिए पहुंचाने के लिए सोनीपत आ गए और बेटी को प्रीतम सिवाच के पास छोड़ दिया। इसके बाद महिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। महिमा जूनियर टीम में डिफेंडर और अब इंडियन सीनियर टीम में मिड फील्डर के रूप में खेलती हैं।
किराये के घर में रहता है परिवार
वर्ष 1999 में जन्मी महिमा ने बताया कि पैतृक गांव से आने के बाद उन्होंने सोनीपत के कल्याण नगर में एक मकान किराये पर लिया। उसके पिता सतीश कुमार गांव में अपनी जमीन को खेती के लिए ठेके पर दे आए थे। परिवार के पास आय का कोई स्थायी जरिया नहीं था। महिमा के परिवार में उसका एक छोटा भाई व बहन हैं, जो पढ़ रहे हैं। जमीन के ठेके से होने वाली आमदनी से ही उनके घर में चूल्हा जलता था। परिवार की हालत देखकर कोच प्रीतम सिवाच ने महिमा से कोई फीस नहीं ली बल्कि समय-समय पर उसकी मदद की।
अब इंडियन आयल कार्पोरेशन में हैं अधिकारी
बंगलुरु साई में चल रहे कैंप में अभ्यास कर रही महिमा ने बताया कि उनके प्रदर्शन को देखते हुए रेलवे ने उसे जूनियर क्लर्क की नौकरी दे दी थी लेकिन अब उसने इसे छोड़कर इंडियन आयल कार्पोरेशन लि. में अधिकारी के पद पर ज्वाइन किया है। महिमा ने बताया कि उसका लक्ष्य ओलिंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाना है। उसके लिए वे अगले टूर्नामेंटों में कड़ी मेहनत करते हुए अपने प्रदर्शन में और निखार लाएंगी।
महिमा की उपलब्धियां
- जनवरी, 2021 में भारत वर्सेज चिली मैचों में स्वर्ण, 2020 में हुई 10वीं हाकी इंडिया सीनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण,
- 2019 में तीसरी नेशनल-इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड,
- 2020 में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण,
- 2019 में भारत वर्सेज बेलारूस टेस्ट मैचों की सीरीज में गोल्ड,
- 2019 में छठे नेशनल-इंटरनेशनल टूर्नामेंट में स्वर्ण,
- 2019 में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण,
- 2019 में हुए भारत वर्सेज फ्रांस टेस्ट मैचों की सीरीज में स्वर्ण,
- 2015 में हुई पांचवीं नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा महिमा ने दर्जनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं।